Monday, April 21, 2008

khoj khabar

दोस्तों बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर आया हूँ  तब से मैंने कई बार सोचा कि क्या हम सब अपनी ज़मीनों को भूल चुके हैं या विस्थापित हैं । क्या जमीन केवल भौतिक वस्तु ही तक सीमित है या इससे भी व्यापक अर्थ है । 
ये एक सवाल है जो मेरे मन में बार  बार आता है। दरअसल हम सब अपनी अपनी ज़मीनों से बिछड़े हुये लोग हैं। ये जो आपाधापी दिखती है वो बस या तो भागना है या तलाश  


































































1 comment:

Unknown said...

pahad ki yatnaye hamare peeche hai/maidan ki hamare samne
apni dharti se juda hona koi nehi chata