दोस्तों बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर आया हूँ तब से मैंने कई बार सोचा कि क्या हम सब अपनी ज़मीनों को भूल चुके हैं या विस्थापित हैं । क्या जमीन केवल भौतिक वस्तु ही तक सीमित है या इससे भी व्यापक अर्थ है ।
ये एक सवाल है जो मेरे मन में बार बार आता है। दरअसल हम सब अपनी अपनी ज़मीनों से बिछड़े हुये लोग हैं। ये जो आपाधापी दिखती है वो बस या तो भागना है या तलाश